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जाने कब वो इधर से गुज़र गये,
मैं रास्ते की तरहां वहीं खड़ा रहा।
वो ना पलटे फिर कभी इस तरफ,
जैसे ख्वाब सुहाने लौटे न कभी।
©गोपाल भोजक
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जाने कब वो इधर से गुज़र गये,
मैं रास्ते की तरहां वहीं खड़ा रहा।
वो ना पलटे फिर कभी इस तरफ,
जैसे ख्वाब सुहाने लौटे न कभी।
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