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नव यौवन से सजी प्रकृति,
नव श्रृंगार धरा ने किया,
सूखे ठूंठ तक हरे हो गये,
जीवन वसंत सा लगता है।
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नव यौवन से सजी प्रकृति,
नव श्रृंगार धरा ने किया,
सूखे ठूंठ तक हरे हो गये,
जीवन वसंत सा लगता है।
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