मेरा मज़हब's image
Share0 Bookmarks 169 Reads1 Likes

मत पूछ मेरा मजहब,

बस इतना समझ ले,

मंदिर हो के मस्ज़िद,

गुरुघर हो या गिरजा,

सर झुका के गुजरता हूँ।

©गोपाल भोजक


No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts