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शून्य को ताकता मेरा ह्रदय
शून्य को ताकता मेरा ह्रदय
मदद को पुकारता है
अंधकार में रौशनी को ढूंढता है
धित्कार है इस पुकार पर
अपनी ही चीज़ को तरसता है मेरा ह्रदय
शून्य को ताकता है मेरा ह्रदय
लालच की इस लहर में क्यों डूब गया है स्वाभिमान
कहाँ गया इ
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