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इन्तज़ार
मेरे दोस्त, तू मेरा यार ना हुआ तो ना सही
जिन्दगी में साथ ना चला तो भी ना सही
चल पड़ा हूं अकेला कदम कदम पथरीली राहों पे
बालों में तेरे शौकसे सजाये थे मैंने फूल कितने
वो खुशबू अबभी हवाओंमें लहराती है, ये अच्छा हुआ
उन लम्होंके सूखे फूल आजभी मेरे किताब-ए-जिस्तमें महकते हैं
देख कर तेरी सूरत चेहरे पे मेरे आ जाती थी मुस्कान
शुक्र है तेरा तूने मुझे रूलाया तो नहीं, ये अच्छा हुआ
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