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गिरा जाल में , हुआ बेहाल मैं,
हार हुआ , फिर से छुआ,
घना घिरा माया समा बांधे,
स्थूल , प्रकट को क्षण क्षण काटे,
किया प्रकट , अब मनोबल बांटे।
मोहित कर नाश करा कै,
दोष प्रति पल बाहर झाकै,
खुद को तब मायूस बतावै,
दोनो ओर से वार करावे,
शोक की बात , बहु बार जित जावै।
हार हुआ , फिर से छुआ,
घना घिरा माया समा बांधे,
स्थूल , प्रकट को क्षण क्षण काटे,
किया प्रकट , अब मनोबल बांटे।
मोहित कर नाश करा कै,
दोष प्रति पल बाहर झाकै,
खुद को तब मायूस बतावै,
दोनो ओर से वार करावे,
शोक की बात , बहु बार जित जावै।
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