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मुझे अपने कमीयों पर दुःख है,
कमजोरी से दुःख है,
भ्रम में भ्रमण करता हूं और कहता हूं सब ठीक है,
बेहोशी में होश का दावा करता हूं।
कितना झूठा हूं,
पल-पल बहता हूं,
और कहता हूं वो तो पुराना था अब नया हूं,
अन्तर नहीं है बस सांत्वना है।
मुझे, मुझसे बचाना है,
मैं खुद को छलता हूं,
चालें चलता हूं ,
ग्लानि करता बेशर्म की तरह अस्वीकारता हूं।
कमजोरी से दुःख है,
भ्रम में भ्रमण करता हूं और कहता हूं सब ठीक है,
बेहोशी में होश का दावा करता हूं।
कितना झूठा हूं,
पल-पल बहता हूं,
और कहता हूं वो तो पुराना था अब नया हूं,
अन्तर नहीं है बस सांत्वना है।
मुझे, मुझसे बचाना है,
मैं खुद को छलता हूं,
चालें चलता हूं ,
ग्लानि करता बेशर्म की तरह अस्वीकारता हूं।
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