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वो कितनी हसीन है उसे पता नहीं
वह फूलों के क़रीन हैं उसे पता नहीं
मैं उसे समझाऊं तो क्या समझाऊं
वह बहुत ज़हीन है उसे पता नहीं
जिसे वह दोस्त समझती है अपना
सांप-ए-आस्तीन है उसे पता नहीं
हकीकत कि दुनिया बहुत तल्ख है
मुझे पक्का यकीन है उसे पता नहीं
-Farhan Ashraf
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