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Romantic PoetryPoetry1 min read

रंगों की फितरत

Dr Wasif QuaziDr Wasif Quazi May 12, 2023
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ग़ज़ल ( चंद अश’आर )

तेवर उनके…. अब नरम होने लगे हैं ।

आँखों को यह….. भरम होने लगे हैं ।।


कभी जो होते थे शोख़ और पाकीज़ा ।

रंग वो……. अब बेशरम होने लगे हैं ।।


नज़रें फ़ेर लेने में…. उन्हें महारत थी ।

अब मुझ पर उनके करम होने लगे हैं ।।

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