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मिरी आशिक़ी ही मिरी पहचान है ।
तेरे दिल में बस्ती मिरी जान है ।।
समझ रहे थे जिसे गहरी चोट सब ।
वो तो तिरी चाहत का निशान है ।।
ग़मज़दा होकर तिरे दर से लौट आये हैं ।
हमारा हाल देखकर लोग भी हैरान है ।।
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