मेरी आशिकी's image
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मिरी आशिक़ी ही मिरी पहचान है ।

तेरे दिल में बस्ती मिरी जान है ।।


समझ रहे थे जिसे गहरी चोट सब ।

वो तो तिरी चाहत का निशान है ।।


ग़मज़दा होकर तिरे दर से लौट आये हैं ।

हमारा हाल देखकर लोग भी हैरान है ।।


तिरे सामने रहते हैं सारा दिन हम तो ।

हमीं को छोड़कर सभी पे तिरा ध्यान है ।।


“काज़ी” तिरी बात पर यकीं कर लिया सबने ।

दिल को लगता है.. ग़लत तिरा बयान है ।।



©डॉक्टर वासिफ़ काज़ी , ” काज़ीकीक़लम ”


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