
Share0 Bookmarks 20 Reads1 Likes
खेली है होली
ऐसी हमने
कुछ तितली के पंखों जैसी
कुछ इंद्र धनुष के रंगों जैसी
ज़िद्दी बचपन के बेफ़िक्र परों पर
उड़ उड़ कर आसमान को रंग दिया था नीला
बादल को कर दिया था गीला
मिल जुल कर खेली है होली हमने
कुछ मोर के पंखों जैसी मासूम रंगिले सपनो जैसी
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments