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मिलना बिछड़ना फ़िर किसी से मिलना सिर्फ़ बहाना है
ज़िंदगी की यही रीत क़िस्मत का लिखा क़िस्सा पुराना है..
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मानता हूँ आसान नहीं किसी की यादों को यूँ भूला देना
पर रुकना नहीं चलते रहना ज़िंदगी का अज़ब फ़साना है..
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इश्क़ की ताक में मत बैठ बनारसी नज़रबाज़ों की तरह
उठ जा ढूँढ मोहब्बत की गलियों में देख वक़्त सुहाना है
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