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लफ़्ज़ दिल से...
लफ़्जों की ज़रूरत नहीं तेरे दर्द-ए-दिल को जानता हूँ
सैंकड़ों आवाज़ों की भीड़ में तेरी ख़ामोशी पहचानता हूँ..
तुमने इस मुस्कुराहट के पीछे लाखों दर्द छिपाए रखे हैं
मैं तेरी तकलीफ़ों के सामने अपना सीना तानता हूँ..
उठती नहीं ये निगाहें अब किसी और की तरफ
तेरे जज़्बात-ए-दिल की वज़ह से तुझे
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