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जिंदगी... अमृत भी, विष भी...

Dr. SandeepDr. Sandeep March 1, 2022
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ज़िंदगी मथ निकले अमृत पर सब ललचाए जा रहे हैं

पर साथ आए हला-हल से अपने को बचाए जा रहे हैं..

इस लालची दुनिया को देख कर ये एहसास हुआ मुझे

हम बे-वजह ग़म-ए-हयात में ज़िंदगी उलझाए जा रहे हैं..

तुमने इस नश्वर दुनिया की ख़ातिर ज़हर को अपनाया

और हम इस जिस्म-ए-ख़ाकी पर यूँ ही इतराए जा रहे हैं..

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