Share0 Bookmarks 60113 Reads2 Likes
ज़िंदगी मथ निकले अमृत पर सब ललचाए जा रहे हैं
पर साथ आए हला-हल से अपने को बचाए जा रहे हैं..
इस लालची दुनिया को देख कर ये एहसास हुआ मुझे
हम बे-वजह ग़म-ए-हयात में ज़िंदगी उलझाए जा रहे हैं..
तुमने इस नश्वर दुनिया की ख़ातिर ज़हर को अपनाया
और हम इस जिस्म-ए-ख़ाकी पर यूँ ही इतराए जा रहे हैं..
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments