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मौत को तो लोगों ने यूँ ही बदनाम कर रखा है
रोज़ नई तकलीफ़ तो ज़िंदगी ने ही ज़्यादा दी है..
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जिंदगी के बाद मौत ही तो गले लगाती है
फिर भी हर पल ज़िंदगी ही हमें डराती है..
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ज़िंदगी में इंसान को बहुत चोट खानी पड़ती है
कई बार जीने के लिए मौत गले लगानी पड़ती है..
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इंसान को मौत नहीं उसकी ज़िंदगी ही मारती है
इसी फ़िक्र की वजह से ही इंसानी ज़िंदगी हारती है..
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मौत तो अपने आगोश में चैन की नींद सुलाती है
ज़िंदगी ही है जो ताउम्र बस ख्वाबों के पीछे भगाती है..!!
#तुष्य
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