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मेरे ख़्यालों और ख़्वाबों की दुनिया
सुकूँ देती है ये किताबों की दुनिया..
फ़लसफ़ा ज़िंदगी का इन्हीं से सीखा
अंधेरों से निकाले चराग़ों की दुनिया..
पर जैसे ही पलटा ज़िंदगी का पन्ना
सवालों में उलझी जवाबों की दुनिया..
उन्हीं पन्नों के बीच बे-ख़ुश्बू फूल सी No posts
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