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क्षीण होती हमारी
सामूहिक स्मृति के
लिये आवश्यक है
भावनात्मक जुड़ाव,
ताकि उन्हें ना पीना पड़े
टी.आर.पी. की शंखपुष्पी
रौंदी गयी,गोदी गयी बेटियाँ
शेष रहें..हमारी स्मृतियों में
हर पल,हर क्षण
ताकि सुन सके ये समाज
उनकी सिसकियों की गूँज
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