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मै जब जब भटकी तेरी राह से ,
तब तब मुझे डर लगा,
पहले से काफी बदल गई मैं,
खुद में काफ़ी असर लगा,
दूर से मौत मंजिल दिख रही है,
शैतान मेरा हमसफर लगा,
जिस रास्ते में चल रही थी मैं,
वही आखिरी डगर लगा।
तब तब मुझे डर लगा,
पहले से काफी बदल गई मैं,
खुद में काफ़ी असर लगा,
दूर से मौत मंजिल दिख रही है,
शैतान मेरा हमसफर लगा,
जिस रास्ते में चल रही थी मैं,
वही आखिरी डगर लगा।
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