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2021 तो गुज़र चला है,
22 वां भी दौड़ पड़ा है,
फ़िसल न जाये ,ये जिंदगी,
किन सपनों को पकड़े खड़ा है।
फ़िसलती सी जाए है, ये जिंदगी,
मोम सी पिघलती ,ये जिंदगी,
हर पल अब तू जी ले जरा,
शाम के आगोश में ढ़लती जिंदगी।
हर पल अब तू जीने लगा है,
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