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दहेज! जिसे कमाने के लिए
एक पिता गुजार देता है जिंदगी,
अगर पूरा दहेज ना दे पाए
तो महसूस करता है शर्मिंदगी।
बेटी की खुशी के ख़ातिर
जी तोड़ मेहनत करता है,
यह तो पिता का दिल है जो
बेटी को हर खुशी देना चाहता है।
शर्म आनी चाहिए उनको
जो पढ़ लिखकर भी
दहेज की मांग करते है,
इस बात से आता है समझ
कि कितने पढ़े लिखे है वो
जो पढ़कर भी अनपढ़ लगते है।
दहेज मुक्त विवाह के लिए
बेटीयों को शिक्षित होना होगा,
ताकि कोई मांग न कर सके
किसी गरीब पिता से दहेज की,
तब जाकर कहीं
हमारा सपना सच होगा
जिससे देश दहेज मुक्त होगा।
~Dk Megh..
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