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दहेज! जिसे कमाने के लिए
एक पिता गुजार देता है जिंदगी,
अगर पूरा दहेज ना दे पाए
तो महसूस करता है शर्मिंदगी।
बेटी की खुशी के ख़ातिर
जी तोड़ मेहनत करता है,
यह तो पिता का दिल है जो
बेटी को हर खुशी देना चाहता है।
शर्म आनी चाहिए उनको
जो पढ़ लिखकर भी
दहेज की मांग
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