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उम्र तलक गलतियां तलाशता रहा गैरों की,
हर बात पर होने वाला ये दिल-ए-नाकाम किसका है।
मिली मुझे जो शिकस्त मौहब्बत-ए-जंग में,
मेरी इस नाकामी पर जशन-ए-कोहराम किसका है।
तू चाहती तो पकड़ सकती थी हाथ मेरा,
इस साजिश को अ
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