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दिल का संदूक
आज मैंने मेरे दिल का संदूक खोला
सिवाय दर्द और गम के कुछ भी न मिला
एक नीली सीसी में रखे थे आंसू मेरे
जो बह आए थे आंखों से मेरी
जब बचपन के कुछ सपने पूरे ना हुए
एक काली डिब्बी में बंद थी सिसकियां मेरी
जो नाकामियों ने दी थी तोहफे में कभी
एक पोटली में कोई चीज रखी थी
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