
Share0 Bookmarks 87 Reads2 Likes
फरवरी का महीना था सुबह शाम वाली ठंड पड़ रही थी पर इस हल्की-फुल्की ठंड में भी विधानसभा चुनाव के तारीखों की घोषणा ने माहौल को गर्म कर दिया था। हर नेता रैलियों पर रैलियां किये जा रहा था रैलियों में हर बार की तरह इस बार भी जनता से तरह-तरह के वादे हो रहे थे और जो वोट के ठेकेदार थे वो नेताओं की कौन, कितने बेहतर तरीके से चापलूसी कर सकता है, करने में प्रतियोगिता कर रहे थे।
मुकेश गौतम जो दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी कर रहा था वह भी उस समय कुछ दिनों के लिए गांव आया हुआ था। वह किसी के घर आता जाता नहीं था। उसी समय उसके चाचा जो आर्मी में थे वह भी छुट्टियों पर घर आए हुए थे।
शाम को लगभग सात बज रहे थे। मुकेश के चाचा ने कहा - एक लोग से थोड़ा काम है, आओ गांव में चलते हैं। मुकेश भी उनका मान रखने के लिए उनके साथ चला गया। गांव में एक पंडित के दुआरे अलाव जल रहा था वहां सात-आठ लोग बैठे हुए थे जो चुनाव पर चर्चा कर रहे थे। मुकेश के चाचा को जिससे काम था संयोग से वह भी वहीं पर मिल गए वह उनसे बातें करने लगे। वहां पर बैठे कुछ लोग मोबाइल पर 'हिंदू धर्म खतरे में है', 'अगले कुछ सालों में मुसलमान कब्जा कर लेंगे' जैसे वीडियो देख रहे थे। उनमें से एक ने जबरदस्ती मुकेश को भी वीडियो देखने को कहा, मुकेश ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
एक पंडित ने दूसरे पंडित से कहा- पता है क्यों नहीं देखा इसने ! जाति से चमार है इसी से समझ सकते हो यह किसे वोट देगा।
दूसरे पंडित ने पहले पंडित से कहा- हाँ समझ रहा हूँ, देख रहे हो मुल्ले की तरह दाढ़ी बढ़ा रखी है!
पहले पंडित ने दूसरे पंडित से कहा- जब मुल्ले लोग सब को मारने लगेंगे, कब्जा करने लगेंगे तो यह नहीं देखेंगे कि तुम किस जाति से हो।
दूसरे पंडित ने पहले पंडित से कहा- इनको क्या लगता है कि इनकी बढ़ी हुई दाढ़ी को देखकर इनको छोड़ देंगे ? नहीं !
मुकेश जब तक कुछ समझ पाता उसे उसकी बढ़ी हुई दाढ़ी और जाति के आधार धार्मिक और जातिवादी घोषित कर दिया गया था।
~दीपक चौधरी
मुकेश गौतम जो दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी कर रहा था वह भी उस समय कुछ दिनों के लिए गांव आया हुआ था। वह किसी के घर आता जाता नहीं था। उसी समय उसके चाचा जो आर्मी में थे वह भी छुट्टियों पर घर आए हुए थे।
शाम को लगभग सात बज रहे थे। मुकेश के चाचा ने कहा - एक लोग से थोड़ा काम है, आओ गांव में चलते हैं। मुकेश भी उनका मान रखने के लिए उनके साथ चला गया। गांव में एक पंडित के दुआरे अलाव जल रहा था वहां सात-आठ लोग बैठे हुए थे जो चुनाव पर चर्चा कर रहे थे। मुकेश के चाचा को जिससे काम था संयोग से वह भी वहीं पर मिल गए वह उनसे बातें करने लगे। वहां पर बैठे कुछ लोग मोबाइल पर 'हिंदू धर्म खतरे में है', 'अगले कुछ सालों में मुसलमान कब्जा कर लेंगे' जैसे वीडियो देख रहे थे। उनमें से एक ने जबरदस्ती मुकेश को भी वीडियो देखने को कहा, मुकेश ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
एक पंडित ने दूसरे पंडित से कहा- पता है क्यों नहीं देखा इसने ! जाति से चमार है इसी से समझ सकते हो यह किसे वोट देगा।
दूसरे पंडित ने पहले पंडित से कहा- हाँ समझ रहा हूँ, देख रहे हो मुल्ले की तरह दाढ़ी बढ़ा रखी है!
पहले पंडित ने दूसरे पंडित से कहा- जब मुल्ले लोग सब को मारने लगेंगे, कब्जा करने लगेंगे तो यह नहीं देखेंगे कि तुम किस जाति से हो।
दूसरे पंडित ने पहले पंडित से कहा- इनको क्या लगता है कि इनकी बढ़ी हुई दाढ़ी को देखकर इनको छोड़ देंगे ? नहीं !
मुकेश जब तक कुछ समझ पाता उसे उसकी बढ़ी हुई दाढ़ी और जाति के आधार धार्मिक और जातिवादी घोषित कर दिया गया था।
~दीपक चौधरी
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments