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आज फिर बारिश हुई 'शहर' में
फिर एक शाम , तेरे बग़ैर ढल रही है ।
संग होते तो महसूस करते इन बारिश की बूंदो को
मगर तेरा साथ न होना, मुझे बहुत खल रही है ।
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आज फिर बारिश हुई 'शहर' में
फिर एक शाम , तेरे बग़ैर ढल रही है ।
संग होते तो महसूस करते इन बारिश की बूंदो को
मगर तेरा साथ न होना, मुझे बहुत खल रही है ।
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