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एक दिन तुम भी थक जाओगे
एक दिन हम भी थक जाएंगे
तो क्यों न एक समझौता कर लेते है
तुम तुम हो जाओ , और हम 'हम' हो लेते है
फिर ये अनबन सी भी नही रहेगी
तेरी आँखे मुझे कुछ नही कहेंगी
मेरी रूह फिर कोई दर्द नही सहेगी
न होगी फिर वो मुलाकातें कभी
न फिर होगी हमारी मासूम बाते कभी
फिर न तेरा बिना बात के रूठना होगा
न फिर मेरा वो तुझे मनाना होगा
ना ही एक दूसरे पे हक जताना होगा ।
तो क्यों न एक समझौता कर लेते है
तुम तुम हो जाओ, हम हम हो लेते है ।
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