तुम क्या जानो's image
Share0 Bookmarks 58131 Reads1 Likes

ढुंढना पड़ता है..

तुम क्या जानो..!


असली-नकली

शोर-मौन

के बीच

अनकही-अधरंग बिना सावन लौटता बसंत,


युँही नहीं बनती

अधर तक आ

कहने को व्याकुल

मन से परे

बुद्धि को छोड़ बस आत्मा

हाँ बस आत्मा

को छुती वो अमर प्

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts