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चलो मैं आज तुमको जन्नत दिखाता हूं ,
मैं तो मैं तुम्हें आज अपने गांव के बारे में बताता हूं
वह गांव जहां होता नारी का सम्मान है ,
आओगे कभी यहां तो जानोगे खुश रहना कितना आसान है ।
यूं तो लोग यहां थोड़ा ही कमाते हैं ,
पर घर के बुजुर्गों को कभी ना सताते हैं ।
पैसा हाय यह पैसा इसके लिए हम भी अपना शहर छोड़ आए थे ,
बहुत रोए थे जब मां को अकेला छोड़ आए थे
इसी गांव में मिलेंगे तुमको वो कई बूढ़े मां बाप और भाई,
जिन्होंने बहन की शादी के लिए अपनी जमीनें उठाई ।
पर तुम्हारा जितना भी है गम सब भूल जाओगे ,
शाम को अगर यहां चौपाल में जो बैठ जाओगे ।
बना लो लाख शहर में कांच की इमारतें ,
चैन आएगा जब गांव में बरगद की छांव में बैठ जाओगे
आदित्य कुमार शर्मा (poetry4youth)
https://youtu.be/svxUrg3oDl0
मैं तो मैं तुम्हें आज अपने गांव के बारे में बताता हूं
वह गांव जहां होता नारी का सम्मान है ,
आओगे कभी यहां तो जानोगे खुश रहना कितना आसान है ।
यूं तो लोग यहां थोड़ा ही कमाते हैं ,
पर घर के बुजुर्गों को कभी ना सताते हैं ।
पैसा हाय यह पैसा इसके लिए हम भी अपना शहर छोड़ आए थे ,
बहुत रोए थे जब मां को अकेला छोड़ आए थे
इसी गांव में मिलेंगे तुमको वो कई बूढ़े मां बाप और भाई,
जिन्होंने बहन की शादी के लिए अपनी जमीनें उठाई ।
पर तुम्हारा जितना भी है गम सब भूल जाओगे ,
शाम को अगर यहां चौपाल में जो बैठ जाओगे ।
बना लो लाख शहर में कांच की इमारतें ,
चैन आएगा जब गांव में बरगद की छांव में बैठ जाओगे
आदित्य कुमार शर्मा (poetry4youth)
https://youtu.be/svxUrg3oDl0
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