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जिंदगी एक अभिलाषा है, क्या गजब इसकी परिभाषा है।
जिंदगी क्या है मत पूछो ? संवर गई तो तकदीर और
बिखर गई तो तमाशा है।
जिंदगी क्या है? इसे समझने का थोड़ा प्रयास करते है। इंसान सिर्फ जीवन के एक पहलू को देखता है और महत्व देता है। इंसान सुख चाहता है लेकिन दुःख के लिए तैयार नही रहता है। जीवन रुपी सिक्के के दुःख और सुख दो पहलू है। अगर जीवन में एक आएगा तो निश्चित ही दूसरा आएगा।
इंसान अपने जीवन में सफलता चाहता है। लेकिन असफलता के लिए तैयार नही रहता है। सफलता और असफ
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