Share0 Bookmarks 55662 Reads1 Likes
बुत ए जज़्बात का गर मुझको सहारा होता,
मैं उन्हें गैरों से कुछ ज्यादा ही प्यारा होता ।
जो उनकी रूह, मेरी रूह की कुछ सुन पाती,
तो मेरे दर्द से दिल उनका भी हारा होता ।
ये यतीम अश्क जो आँखों से बह गए यूँ ही,
उन्हें भी सीने और दामन का सहारा होता ।
तुमने औरों की बेवफाई के बदले का कहर,
यूँ मेरी पाक वफा पर ना बरपाया होता ।
<
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments