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*सच्चे सुख का आनन्द*
प्रश्न पूछा ये खुद से, जीवन में दुख क्यों आता
सुख आकर भी फिर से, कहां गायब हो जाता
किसी अमीर को देखकर, मन में आया विचार
कुछ और नहीं केवल, धन ही सुख का आधार
मन ने मुझे समझाया, छोटा सा पाप तू कर ले
भ्रष्ट कर्मों की खाई में, थोड़ा सा आज उतर ले
एक बार जब धन संपत्ति, तेरे पास आ जाएगी
सुखों की कतार तेरे, दरवाजे पर नजर आएगी
जरा सा पाप किया तो, क्या गुनाह हो जाएगा
जीवन भर के लिए कोई, कष्ट कभी न पाएगा
नासमझी में आकर मैं, कर बैठा पाप घिनौना
ऐसी मुश्किल में फंसा, जो भूल गया मैं सोना
बेच दिया
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