इच्छाओ के मर जाने से इंसान मर जाता है
मुर्दा नही बनता सिर्फ जिंदा लाश बन जाता है
कुछ भावनाओं के बह जाने से वो रो जाता है
दुनिया मे होते हुवे भी वो दुनिया से खो जाता है
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