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वो बिछडा तो दस्त से रंग-ए-हिनाई ले जाएगा,
लबों का तबस्सुम आँखों से बीनाई ले जाएगा!!
फिर ना लौटेगा कभी मौसम-ए-गुल मेरे लिए,
वो तो गुल से खूश्बू बागों से रानाई ले जाएगा!!
उसके बग़ैर युँ ही भटकती फिरेगी खुशी दर-बदर,
मेरे ख्वाब भी सारे पलकों से हरजाई ले जाएगा!
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