Share0 Bookmarks 48910 Reads3 Likes
मैं कहीं और थी, किसी और की थी...
तुम भी कहीं और थे किसी और के थे,
एक दिन अचानक हमारे रास्ते मिल गए,
और हम-तुम भी मिल गए....
आरंभिक संकोच के उपरांत,
आरंभ हुआ घनिष्ठता का दौर,
फिर यूँ हुआ कि मैं तुम्हारी,
और तुम मेरे हो गए....
समस्त सृष्टि विलीन हो गई.... (1)
और हम-तुम ही रह गए...
एकदूजे में लीन सबसे अलिप्त,
सभी सुख-दुख को बाँटते हुए,
अपनी अपनी अतृप्तिओं का
शमन करते हुए तुम और मैं,
जीवन नवपल्लित हो उठा था
बसंत मधुरतम हो उठा था...
प्रेम के अतिरिक्त कुछ भी नहीं था,
और फिर अचानक ही शनै शनै
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments