Share0 Bookmarks 49052 Reads1 Likes
हम क्यों गुम हैं आज कल,
मेरी आँखे नम हैं आज कल,
फुर्सत से बैठकर बस रोते हैं आज कल,
कुछ बदले से लगते हो तुम आज कल,
सिर्फ मेरी हँसी दिखती है तुम्हैं आज कल,
इस हँसी के पीछे भी एक दर्द अजीब है,
कभी-कभी लगता है तू अब भी मेरे करीब है,
उम्मीदों का सूरज आज ढल सा गया है,
ऐसा लगता है तुम्हैं कोई और मिल गया है,
हम क्यों गुम हैं आज कल,
मेरी आँखें नम हैं आज कल,
ये उन दिनों की बात है,
जब तुम मेरे साथ थे,
मिलते थे जब हम नुक्कडों पर,
जैसे तेरा नाम था उन चाय के कुल्हडों पर,
पता नहीं वो बस दोस्ती थी या प्यार था,
जब मुझे बस तेरा इंतजार था,
शायद अब मैं तेरा अतीत हूँ,
पर तुम अब भी मेरे मीत हो,
हम क्यों गुम हैं आज कल,
मेरी आँखें नम हैं आज कल,
पर कुछ तो अलग बात थी,
जो तुम औरों से खास थे,
वो मुस्कान कुछ नमकीन सी,
जैसे आँखों में कुछ नींद सी,
वो बातें कुछ तो खास थीं,
जब तुम मेरे पास थे,
शायद ये कल की ही तो बात थी,
जब हुई हमारी पिछली मुलाकात थी,
हम क्यों गुम हैं आज कल,
मेरी आँखे नम हैं आज कल,
वो तेरी गली में घूमना,
वो चाय की दुकान पर बैठना,
जो घर के सामने थी तुम्हारे,
फिर तेरे छज्जे की तरफ
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments