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हम क्यों गुम हैं आज कल,
मेरी आँखे नम हैं आज कल,
फुर्सत से बैठकर बस रोते हैं आज कल,
कुछ बदले से लगते हो तुम आज कल,
सिर्फ मेरी हँसी दिखती है तुम्हैं आज कल,
इस हँसी के पीछे भी एक दर्द अजीब है,
कभी-कभी लगता है तू अब भी मेरे करीब है,
उम्मीदों का सूरज आज ढल सा गया है,
ऐसा लगता है तुम्हैं कोई और मिल गया है,
हम क्यों गुम हैं आज कल,
मेरी आँखें नम हैं आज कल,
ये उन दिनों की बात है,
जब तुम मेरे साथ थे,
मिलते थे जब हम नुक्कडों पर,
जैसे तेरा नाम था उन चाय के कुल्हडों पर,
पता नहीं वो बस दोस्ती थी या प्यार था,
जब मुझे बस तेरा इंतजार था,
शायद अब मैं तेरा अतीत हूँ,
पर तुम अब भी मेरे मीत हो,
हम क्यों गुम हैं आज कल,
मेरी आँखें नम हैं आज कल,
पर कुछ तो अलग बात थी,
जो तुम औरों से खास थे,
वो मुस्कान कुछ नमकीन सी,
जैसे आँखों में कुछ नींद सी,
वो बातें कुछ तो खास थीं,
जब तुम मेरे पास थे,
शायद ये कल की ही तो बात थी,
जब हुई हमारी पिछली मुलाकात थी,
हम क्यों गुम हैं आज कल,
मेरी आँखे नम हैं आज कल,
वो तेरी गली में घूमना,
वो चाय की दुकान पर बैठना,
जो घर के सामने थी तुम्हारे,
फिर तेरे छज्जे की तरफ ताकना,
वो तेरा खिडकी से झाँकना,
वो मेरी साईकिल की घंटी,
और वो तेरी गली की आँटी,
जिनसे डरता था मैं बेचारा,
फिर भी आता दोबारा,
हम क्यों गुम हैं आज कल,
मेरी आँखे नम है आज कल,
तेरे बिना समय थम सा गया है,
उन गलियों में जाना कुछ कम सा गया है,
वो स्कूल की ही तो बात थी,
जब हुई हमारी पहली मुलाकात थी,
मुझमें कुछ तो बदला था उस दिन,
मेरा दिल किसी के लिये धडका था उस दिन
मेरी कक्षा में वो बेंच कुछ तो खास थी,
जो तुझसे बिल्कुल पास थी,
जैसे वहाँ की हवा में तेरी साँस थी,
शायद वो कल की ही तो बात थी,
हम क्यों गुम हैं आज कल,
मेरी आँखें नम हैं आज कल,
दिल का एक अरमान था,
जिसमें सब कुछ तेरे नाम था,
पर अब तो वो अरमान टूट गया है,
क्योंकि तेरा साथ जो छूट गया है,
पर अब तो दर्द छुपाने का तरीका ढूढ लिया है,
मैंने लोगों से ज्यादा बात करना छोड दिया है,
पर मैं तो तुझे अब भी याद करता हूँ,
तेरे बारे में खुद से बात करता हूँ,
यह सब कहते-2 अब आँख मेरी नम है,
शायद इस दिल की धडकन भी अब कम है,
हम क्यों गुम हैं आज कल,
मेरी आँखे नम हैं आज कल।।
Written by -
BHEEM RAO AMBEDAKAR
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