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"ये रात भी चलती है"
ये रात भी चलती है
पहरों पहर!
ये नितांत निःशब्द सी रात।
निश्चल निशीथ में सिमटी हुई
सुकून बरसाती ये रात।
कभी कोहरे की चादर को ओढ़े हुए
कभी सर्दी को ख़ुद में समेटे हुए
ख़ामोशियों के संग गुनगुनाती
सर-सर सी बहती ये रात।
घड़ियों की टिक-टिक को
गिन-गिन कर रखती
धड़कन बनाती ये रात।
ये रात भी चलती है
पहरों पहर।
-भारती
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