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इंतजार की इंतहा है
सर्दी आ गई अब तो आजा
जनवरी को जून बना जा
सीने से अपने मुझको लगा ले
बर्फ जम गई है उसको पिघला दे
देर ना कर जल्दी आजा
कटता नहीं दिन तुम बिन
धूप भी अब बेअसर हो गई
रातें भी
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