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शादी हमारी परंपरागत हुई थी
जोड़ी हमारी मां-बाप ने बनाई थी
पहले ना तुमने हमको देखा ना हमने तुमको देखा
पहली मुलाकात भी पहली पहली रात में हुई थी
भीग गए पसीने में जैसे सावन की बरसात हुई थी
शादी भी हमारी 15 जून में हुई थी
समारोह में भी सादगी थी नहीं दहेज का आडंबर था
धन्य हो मां-बाप हमारे अनपढ़ थे..
फिर भी कितनी समझदारी थी
शादी हमारी परंपरागत हुई थी
हाल ही में हमने
सालगिरह की सिल्वर जुबली मनाई थी
शरमाए तुम वैसे ही प्रिय
जैसे कल ही दुल्हन बन कर घर आई थी
सिलवर जुबली भी हमारे सुनहरी हो गई
तुम दीपांशी की नानी हम नाना हो गए
~ भरत सिंह
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