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मेरी कविता
इंतजार तुम्हारा
मुझे दीवाना बना देगा
आंखों से मेरे फिर आंसू गिरेंगे
कलम की स्याही में घुलेंगे
प्रेम कहानी हमारी नमकीनी हो जाएगी
पढ़ोगे जब कभी तुम एहसास मेरे
आंखों से तुम्हारे मोती गिरेंगे
इकट्ठा करने में मोती सारे
दिल पर मेरे पहाड़ टूटेंगे
जड़ दूंगा सारे मोती मैं फिर कविता में
प्रेम कहानी
हमारी नमकीनी हो जाएगी
मेरी कविता
जन्मो जन्म तुम्हें अपनी सीता मान लिया
चढ़ा दूंगा प्रत्यंचा पिनाक पर मैंने ठान लिया
संगिनी बनो तुम मेरी
तुम्हें अपने रंग में रंग लेंगे
जीवन की हर समस्या तुमसे हर लेंगे
घोल देंगे मिठास जीवन में
फिर तुम्हें हम अपनी कविता कह कर बुलाएंगे
~ भरत सिंह
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