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बनूंगी तुम्हारी कविता

Bharat SinghBharat Singh May 27, 2023
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मेरी कविता

गुलाब की जगह हाथ में कलम थमा गई

मुस्कुराते हुए कान में मेरे गीत गुनगुना गई

"मैं सफेद कागज सी कोरी

तुम काली स्याही से काले प्रिय

रंग लो मुझे अपने रंग में

कितना प्यारा मेल हमारा

श्याम को जैसे राधा प्यारी

हर ढलती सांझ में तुम्हें याद आऊंगी

तुम लिखना मुझे

बनूंगी मैं तुम्हारी कविता

भर देना मुझमें जीवन के रंग सारे

दोगुना करके लौट आऊंगी मैं प्यार के रंग सारे

ऐसे ही सदा के लिए तुम्हारी कविता बन जाऊंगी"

~ भरत सिंह


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