
आसूं झूठ नहीं बोलते
देखो मेरी आंखों में
कोई पागल ना समझे मुझे
आशिक हूं मैं आशिक हूं
ढूंढ रहा हूं मैं तुझे
तंहा रातों में
लुखा छिपी मत खेलो
आ जाओ तुम सामने
मत सताओ
अपने दीवाने को
तन्हा रातों में
ढूंढ रहा हूं मैं तुझे
थार के रेगिस्तान में
मरीचिका के जैसे
आंख मिचौली मत खेलो
मर जाऊंगा प्यासा मैं
आ जाओ तुम पास में
कौन सी मजबूरी है
आ जाओ तुम सामने
आसूं झूठ नहीं बोलते
देखो मेरी आंखों में
कोई पागल ना समझे मुझे
आशिक हूं मैं आशिक हूं
ढूंढ रहा हूं मैं तुझे
रात के सन्नाटे में
क्यों चुराती हो नींदे मेरी
आ जाओ तुम पास में
ढूंढ रहा हूं मैं तुझे
गांव की हर गली में
ढूंढ रहा हूं मैं तुझे
अरावली के पहाड़ों में
आ जाओ तुम पास में
पहुंच गया हूं मैं
तुम्हारे प्यार में
उस ऊंचाई पर
एवरेस्ट भी अब मुझे
बोनी सी लगती है
तुम्हारे बिना
अब लौटना मुश्किल है
आ जाओ तुम पास में
हमेशा हमेशा के लिए
आसूं झूठ नहीं बोलते
देखो मेरी आंखों में
कोई पागल ना समझे मुझे
आशिक हूं मैं आशिक हूं
~भरत सिंह
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