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आज वह फिर याद आई है
सपने हजारों साथ लाई है
बरसाने की राधा
जैसे गोकुल आई है
गोकुल की गलियों में हल्ला है
श्याम से मिलने राधा आई है
आज वह फिर याद आई है
आषाढ़ के महीने में जैसे बरसात आई हैं
धरती की प्यास बुझाने आज आई है
नाच उठे हैं मोर बरसात आई है
ग्वालों ने भी आज खुशी मनाई है
श्याम से मिलने जैसे राधा आई है
आज वह फिर याद आई है।
सरहद पर सैनिक की आंख भर आई है
हवाएँ फिर आज गांव की ओर से आई है
प्रेमिका का संदेश मां का आशीर्वाद लाई है
श्याम से मिलने आज राधा आई है
आज वह फिर याद आई है
~भरत सिंह
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