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मेरी कविता
मेरी हो तुम
कहो ना प्यार है..
मैं शायर तुम्हारा
तुम शायरी मेरी
मेरी जान जाती है तुम बिन
मेरी हो तुम
तुम बिन लिखा ना जाए
तुम बिन जिया ना जाए
तुम बिन खाया ना जाए
तुम बिन रहा ना जाए
तुम खून बनकर
मेरी नसों में बहने लगी हो
तुम दिल मेरा बनके
मुझमें ही धड़कने लगी हो
कैसे मैं तुम्हारे बिना जिऊंगा
कैसे रहोगी तुम मेरे बिना
तुम मछली मेरी मैं समंदर तेर
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