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उर्मिला

वो प्रियतम साथ में
उपवन रही वन रही
हर पल हर स्थल
हर सुख दुख कही

मैं विरहाग्नि में
दहती सहती हुई
तिल तिल जली
तिल तिल जगी !!

नाम उसका हरमुख
आजतक प्रथम आया
सीता राम सीता राम
हर मन मंदिर समाया

नाम मेरा हे सखि !!
किसने कहा ? किसने सुना ??
प्रतीक्षारत दीपशिखा सी
द्वार चतुर्दश वर्ष जली !!

थी मांडवी श्रुति कीर्ति भी

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