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सिमट के आ जाओ आग़ोश में
फिर आँखों से बयाँ वो तहज़ीब कर दो
माह-ए-रमज़ान में वक़्त है अभी काफ़ी
कुछ यूँ करो की छत पे आ जाओ और ईद कर दो
-Harshit
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सिमट के आ जाओ आग़ोश में
फिर आँखों से बयाँ वो तहज़ीब कर दो
माह-ए-रमज़ान में वक़्त है अभी काफ़ी
कुछ यूँ करो की छत पे आ जाओ और ईद कर दो
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