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चलो सब खाली करते है,
बोहोत कुछ जो भरा रखा है,
दिल,दिमाग सब सना रखा है,
चलो इसे साफ़ करते हैl
कई बातें, कई शिकवे जो जालो की तरह चिपके है,
सोच की मकड़ी बुने जा रही है जिन्हे,
इन्हे साफ़ करते है,
अपने कल से आज इंसाफ करते हैl
काई जम चुकी है,हरी है जख्मो की तरह,
काले घेरे आँखों के नीचे,रात की कालिख की तरह,
नींदो को फिर बरक़रार करते है,
खुद से खुद को इश्क़ का इक़रार करते हैl
धूल काफी है यादों की,
हर बार दरवाज़ा खोलते ही, आँखों में नमी देती है,
पुराने किस्सों से खुद को बेपरवाह करते है,
चलो कल भुलाके आज की परवाह करते हैl
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