मुसाफ़िर हूँ मुझे मंजिल की तलाश है,
खाली हाथ हैं कुछ भी न मेरे पास है,
अकेला चला हूँ, मुश्किल बड़ी राह है,
आसानी से वो कहाँ मिलती है जिसकी मुझे चाह है,
पर इरादा
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