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जीवन बहुत आसान था, जब बचपन का दौर था,
मस्त जिन्दगी थी अपनी, जब कमाता कोई और था,
बड़े हुए जब ठोकर खाई, तब हमने यह जाना है,
ईंसा का ईंसा दुश्मन है, मुश्किल बड़ा कमाना है,
अपने ही धोखा देते हैं, औरों की क्या बात करें,
नहीं परवाह है किसी को आप जिएं या आप मरें,
गिरना, संभलना और संघर्ष यही जीवन की रीत है,
मन के हारे हार है, मन के जीते जीत है|
मात- पिता का हाथ है सिर पर तब तक जीवन में प्यार है,
छूटा साथ हुए अनाथ तो
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