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कितनी भी मुश्किल ही राह
फिर भी चले जाना है
रोते गिरते पड़ते ही सही
मंज़िल को मुझे पाना है
इन रास्तों की एक बात निराली है
अंजाम इनका कभी दिखता ही नहीं
दिशाएं मंज़िल और रास्ते सबके अलग है यहां
कोई किसी का हमराही नहीं
इंतज़ार में तुम्हारे रुक जाएगा कोई
ये बस तुम्हारी गलतफहमी ही है
हर किसी को खुद धुंडना है अपना रास्ता
भले आशाएं तुम्हारी सहमी ही है
राहों के अनगिनत काटो को
तुम्हे खुद दूर करते जाना है
गिरकर खुद ही संभलना है तुम्हे
लक्ष की ओर बस दौड़ते चले जाना है
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