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हम इतने मतलबी की अब कहीं पर दिल नहीं लगता
उन्हें दिल से हमें अब भूलना,मुश्किल नहीं लगता
हुये कई मरतबा बेजार हम उनकी पनाहों में
कोई रहबर-ए-क़ाबिल हो मेरा,क़ाबिल नहीं लगता
~बालेन्द्र शर्मा ‘अनंत’
उन्हें दिल से हमें अब भूलना,मुश्किल नहीं लगता
हुये कई मरतबा बेजार हम उनकी पनाहों में
कोई रहबर-ए-क़ाबिल हो मेरा,क़ाबिल नहीं लगता
~बालेन्द्र शर्मा ‘अनंत’
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