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जो कोई अपनी बात कहे , ऐतराज़ ना करो
खुल के मिलो, दिल के परिंदे आज़ाद करो
क़ैद और ग़ुलामी के बेड़ियोँ ने सालों जकड़ा
अब गलतियाँ सुधारो एक दूजे को माफ़ करो।
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